Friday, February 8, 2008

मेरी कहानियों का नया ब्‍लाग

मित्रो
अपने एक और ब्‍लॉग के साथ आपके सामने हाजिर हूं. पिछले बीस बरस के दौरान बहुत कुछ रचा है. कहानियां, उपन्‍यास, लेख, व्‍यंग्‍य, अनुवाद, संस्‍मरण, शहरनामे. अधिकांश छपा भी है और अनूदित भी हुआ है. टीवी ओर रेडियो पर आती रही हैं कहानियां. पाठकों का भरपूर प्‍यार मिलता रहा है. मेरी अधिकांश रचनाएं विभिन्‍न नेट प ‍त्रिकाओं पर, पत्रिकाओं के नेट संस्‍करणों में, अलग अलग ब्‍लागों में पसरी पड़ी हैं. मुझे खुद खबर नहीं कि कहां कहां हैं, सबके फांट अलग और सबके पाठक अलग. मेरी एक वेबसाइट भी है geocities.com/kathakar_surajprakash जो न जाने कब से एडिट ही नहीं हुई है. मैं खुद भी उस तरफ नहीं झांकता. अब हिन्‍दी में भी ब्‍लाग बनाना आसान हो जाने और इनके जरिये पूरी दुनिया में बहुत बड़ा पाठक वर्ग मिल जाने को देखते हुए तय किया है कि अब से हर सोमवार एक कहानी के साथ आपके सामने आऊंगा. हो सकता है इनमें से कुछ कहानियां नेट पर पहले से मौजूद हों, तो भी ये तसल्‍ली तो रहेगी कि मेरी सारी रचनाएं एक ही जगह पर उपलब्‍ध है.
मौका लगा तो पाठकों तक चार्ली चै‍प्लिन और चार्ल्स डार्विन की आत्‍म‍कथाओं के अनुवाद भी पहुंचेंगे. और तकनीकी रूप से संभव हुआ तो उपन्‍यास देस बिराना का सारा पाठ और उसके आडियो अंश भी.
तो इंतजार कीजिये सोमवार का
सूरज प्रकाश

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